जीवन में हमें अक्सर हर कोई ये कहता हुआ मिलता है की अगर जीवन में कामयाब व्यक्ति बनना है तो आपको हर वक़्त कोशिश करते रहना चाहिए। क्यूंकि किसी महान सख्श ने कहा है कि, सफल जीवन का मूल मंत्र ही है कोशिश करते रहना। इसी सिलसिले में हम आपके समक्ष एक प्रेरक कहानी प्रस्तुत कर रहे है। ये प्रेरक कहानी हर स्टूडेंट, हर नौकरी करने वाले और हर उस इंसान को ज़रूर पढ़नी चाहिए जो ज़िन्दगी में आगे बढ़ने की चाह रखता है। तो आईये पढ़ते है ये कहानी जो कि एक स्टूडेंट और उसके टीचर की है।
यह कहानी है अंकुश नाम के एक लड़के की। अंकुश के पिता कॉलेज में प्रोफेसर है और वो चाहते थे कि अंकुश 12 वीं में अच्छे नंबर ले कर आई.आई.टी का टेस्ट पास करे और टॉप का इंजीनियर बने। अंकुश भी असल में यही चाहता था और जब उसके 12 वीं में 96% नंबर आये तो वह और उसके पापा बहुत खुश हुए। उन्हें लगने लगा कि अब अंकुश आई. आई. टी. की परीक्षा भी पास कर लेगा और भारत के टॉप इंजीनियरिंग कॉलेज में उसे दाखिला मिल जाएगा।
अब अंकुश पूरे विश्वास और मेहनत से आई. आई. टी. के एंट्रेंस पेपर की तैयारी करने लगा। वो इतनी मेहनत कर रहा था कि अपनी भूख प्यास सब भूल गया। आई. आई. टी. के पेपर की तैयारी के लिए अंकुश अपने टीचर मनोज सर से कोचिंग ले रहा था। मनोज सर उन सभी बच्चो को कोचिंग देते थे, जो आई. आई. टी. की परीक्षा पास करना चाहते है। मनोज सर को भी लगता था कि अंकुश आसानी से परीक्षा पास कर लेगा।
और फिर आखिरकार वो दिन आ गया जिसका इंतजार अंकुश, उसके पापा और मनोज सर को था। अंकुश का परीक्षा आया और वह बहुत खुश हुआ। घर से मीठी दही खा कर अंकुश पेपर देने गया और घर आ कर वह बहुत खुश था क्यूंकि उसका पेपर बहुत अच्छा हुआ था।
लेकिन कई बार किस्मत में वो नहीं होता जैसा हम सोचते है। जब उसका रिजल्ट आया तो, उस रिजल्ट मे अंकुश का नाम नहीं था। अंकुश मात्र 3 नंबरों से पीछे रह गया, जिसका दुःख सबको हुआ। अंकुश के पापा ने अंकुश का हौसला बांधते हुए उसे कहा कि कोई बात नहीं इस बार नहीं हुआ तो अगली बार हो जाएगा। लेकिन अंकुश तो जैसे इस बात को दिल पर ले बैठा था। उसे पूरी उम्मीद थी कि वह पेपर पास कर लेगा, लेकिन जब वह पेपर पास ना कर पाया तो बहुत निराश हुआ। अंकुश डिप्रेस में रहने लगा और अब उसका मन पढाई से ऊब चूका था। अंकुश को निराश देख कर उसके पापा भी टेंशन में रहने लगे थे और इसलिए उन्होंने ये बात अंकुश के मनोज सर से शेयर की। मनोज सर ने अंकुश को फोन किया और कहा “अंकुश…आज शाम को घर पर आना कुछ बात करनी है।”
अंकुश सर की बात मान कर उनके घर उनसे मिलने गया और मनोज सर अंकुश को अपने घर के आगे बने बगीचे में ले गए। वहां अंकुश को बैठने को कहा. अंकुश के पास ही थोड़ी सी रेत पड़ी थी। मनोज सर ने अंकुश को कहा “अंकुश.. वो रेत देख रहे हो न, उसे उठाओ और अपनी मुट्ठी में बंद कर लो।”
अंकुश ने रेत उठाई और जैसी ही अपनी मुट्ठी बंद की, रेत उसके हाथो से फिसल गई। अंकुश ने 3 – 4 बार कोशिश की लेकिन हर बार वो रेत उसके हाथ से फिसल जाती।
मनोज सर ने अंकुश को समझाया “अंकुश ज़िन्दगी में कुछ चीज़े इस रेत की तरह होती है, उन्हें कितना भी थामने की कोशिश करो, वो हमारे हाथ से फिसल ही जाती है। तुमने पूरी कोशिश की आई.आई.टी का पेपर पास करने की लेकिन ये ज़रूरी नहीं कि तुम वो पास कर ही लो, तुम सिर्फ कोशिश कर सकते हो।”
“ये हमारा कर्तव्य है कि हम किसी चीज़ को पाने के लिए पूरी कोशिश करे लेकिन अगर वो चीज़ हमें ना मिले तो इसका मतलब ये नहीं कि ज़िन्दगी से हार कर बैठ जाओ। उठो, और मेहनत करो और पूरे जोश के साथ अगली बार कोशिश करो, निश्चित ही तुम्हे तुम्हारा लक्ष्य मिल जाएगा। सिर्फ एक बार आई.आई.टी का टेस्ट क्लियर नहीं हुआ और हार मान लेना, ये तो कायरता है और अंकुश तुम कायर नहीं हो। अब निराशा छोड़ो, घर जाओ और मेहनत करो, मुझे यकीन है तुम ये कर सकते हो।” मनोज सर से मिली मोटिवेशन का अंकुश पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ा और अगली बार उसने फिर कोशिश की और उसने आई.आई.टी की परीक्षा पास कर ली।
प्रिय पाठकों, इस कहानी के माध्यम से हम सिर्फ ये बताना चाहते है कि मात्र कुछ असफलताओं की वजह से हमें कभी उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए, हमेशा कोशिश करते रहना चाहिए। एक ना एक दिन सफलता मिल ही जाती है। बस खुद पर यकीन रखो !
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