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Motivational Story-आंतरिक अनुभूति

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एक बार की बात है एक राजा की लड़की की शादी होनी थी, लड़की की शर्त ये थी कि जो भी 20 तक की गिनती सुनाएगा उसको राजकुमारी अपना पति चुनेगी!गिनती ऐसी हो जिसमें सारा संसार समा जाए,यदि नहीं सुना सकेगा तो उसको 20 कोड़े खाने पड़ेंगे! और ये शर्त केवल राजाओं के लिए ही है!


अब एक तरफ राजकुमारी का वरण और दूसरी तरफ कोड़े!एक-एक करके राजा महाराजा आए राजा ने दावत भी रखी मिठाई और सब पकवान तैयार कराए गए!पहले सब दावत का मजा ले रहे होते हैं, फिर सभा में राजकुमारी का स्वयंवर शुरू होता है!

एक से बढ़ कर एक राजा महाराजा आते हैं!सभी गिनती सुनाते हैं वो सब पढ़े लिखे थे और जो उन्होंने पढ़ी हुई थी वो गिनती सुना दी लेकिन कोई भी वह गिनती नहीं सुना सका जिससे राजकुमारी संतुष्ट हो सके!अब जो भी आता कोड़े खा कर चला जाता,कुछ राजा तो आगे ही नहीं आए उनका कहना था!कि गिनती तो गिनती होती है राजकुमारी पागल हो गई है,ये केवल हम सबको पिटवा कर मजे लूट रही है!

ये सब नजारा देख कर एक हलवाई हंसने लगता है!वह कहता है अरे डूब मरो राजाओं, आप सबको 20 तक गिनती नहीं आती! ये सब सुनकर सब राजा उसको दण्ड देने के लिए बोलते हैं!राजा उससे पूछता है कि तुम क्या गिनती जानते हो यदि जानते हो तो सुनाओ!

हलवाई कहता है, हे राजन यदि मैने गिनती सुनाई तो क्या राजकुमारी मुझसे शादी करेगीं!क्योंकि मैं आपके बराबर नहिं हूं,और ये स्वयंवर भी केवल राजाओं के लिए है!तो गिनती सुनाने से मुझे कोई फायदा नहीं, और मैं नहीं सुना सका तो सजा भी नहीं मिलनी चाहिए!

राजकुमारी बोलती है, ठीक है यदि तुम गिनती सुना सके तो मैं तुमसे शादी करूंगी!और यदि नहीं सुना सके तो तुम्हें मृत्युदंड दिया जायेगा!, सब देख रहे थे कि आज तो हलवाई की मौत तय है! हलवाई को गिनती बोलने के लिए कहा जाता है,राजा की आज्ञा लेकर हलवाई गिनती शुरू करता है!
एक भगवान
दो पक्ष
तीन लोक
चार युग
पांच तत्व
छह शास्त्र
सात वार
आठ खंड
नौ ग्रह
दश दिशा
ग्यारह रुद्र
बारह आदित्य
तेरह विद्या
चौदह रत्न
पन्द्रह तिथि
सोलह कला
सत्रह वनस्पति
अठारह पुराण
उन्नीसवीं तुम
और
बीसवाँ मैं
 

सब हक्के बक्के रह जाते हैं,राजकुमारी हलवाई से शादी कर लेती है!

इस गिनती में संख्या नहीं तजुर्बा का महत्व है, सिर्फ 20 तक की गिनती राजकुमारी पूछ रही है तो ये संख्या नहीं और कुछ है, यह अनुमान राजकुमार नहीं लगा सके। इसलिए कहते हैं जिस के अंदर खुद की समझ न हो उसे शास्त्र विद्वान नहीं बना सकते । मनुष्य को सुकून भरी ज़िन्दगी जीने के किताबी ज्ञान के साथ साथ व्यवहारिक ज्ञान भी सीखना चाहिए

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