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आज की कहानी-जैसे को तैसा

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एक स्थान पर जीर्णधन नाम का बनिये का लड़का रहता था । धन की खोज में उसने परदेश जाने का विचार किया । उसके घर में विशेष संपत्ति तो थी नहीं, केवल एक मन भर भारी लोहे की तराजू थी । उसे एक महाजन के पास धरोहर रखकर वह विदेश चला गया ।

महाजन ने कहा आपकी धरोहर चूहे खा गए : विदेश से वापिस आने के बाद उसने महाजन से अपनी धरोहर वापिस मांगी । महाजन ने कहा-वह लोहे की तराजू तो चूहों ने खा ली । बनिये का लड़का समझ गया कि वह उस तराजू को देना नहीं चाहता । किन्तु अब उपाय कोई नहीं था । कुछ देर सोचकर उसने कहा-कोई चिंता नहीं । चूहों ने खा डाली तो चूहों का दोष है, तुम्हारा नहीं । तुम इसकी चिन्ता न करो ।

लड़के ने कहा अपने पुत्र को मेरे साथ नदी मे स्नान करने भेज दो :थोड़ी देर बाद उसने महाजन से कहा-मित्र ! मैं नदी पर स्नान के लिए जा रहा हूँ ।  तुम अपने पुत्र धनदेव को मेरे साथ भेज दो, वह भी नहा आयेगा । महाजन बनिये की सज्जनता से बहुत प्रभावित था, इसलिए उसने तत्काल अपने पुत्र को उनके साथ नदी-स्नान के लिए भेज दिया । बनिये ने महाजन के पुत्र को वहाँ से कुछ दूर ले जाकर एक गुफा में बन्द कर दिया । गुफा के द्वार पर बड़ी सी शिला रख दी, जिससे वह बचकर भाग न पाये ।

बनिये ने कहा आपके पुत्र को चील उठा ले गई : उसे वहाँ बंद करके जब वह महाजन के घर आया तो महाजन ने पूछा-मेरा लड़का भी तो तेरे साथ स्नान के लिए गया था, वह कहाँ है ? बनिये ने कहा -उसे चील उठा कर ले गई है ।महाजन -यह कैसे हो सकता है ? कभी चील भी इतने बड़े बच्चे को उठा कर ले जा सकती है ? बनिया-भले आदमी ! यदि चील बच्चे को उठाकर नहीं ले जा सकती तो चूहे भी मन भर भारी तराजू को नहीं खा सकते । तुझे बच्चा चाहिए तो तराजू निकाल कर दे दे ।

न्याय के दोनों राजमहल मे पहुँच गए : इसी तरह विवाद करते हुए दोनों राजमहल में पहुँचे । वहाँ न्यायाधिकारी के सामने महाजन ने अपनी दुःख-कथा सुनाते हुए कहा कि, इस बनिये ने मेरा लड़का चुरा लिया है । धर्माधिकारी ने बनिये से कहा -इसका लड़का इसे दे दो । बनिया बोल-महाराज ! उसे तो चील उठा ले गई है । धर्माधिकारी -क्या कभी चील भी बच्चे को उठा ले जा सकती है ? बनिया -प्रभु ! यदि मन भर भारी तराजू को चूहे खा सकते हैं तो चील भी बच्चे को उठाकर ले जा सकती है । धर्माधिकारी के प्रश्‍न पर बनिये ने अपनी तराजू का सब वृत्तान्त कह सुनाया,उन दोनों की बात सुन न्यायाधिकारी जैसे को तैसा।

सीख : जैसा व्यवहार आप दूसरों के साथ करते है वैसा ही अंत में आपके साथ होता है। सोच समझकर छल करें ।

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