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Motivational Story = यह दौलत किस काम की

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महान संत और उसकी गाथा

स्पेशल स्टोरी :  एक संत थे, जो घूम-घूम कर लोगों को श्रीमद् भागवत और राम कथा सुनाया करते थे। एक कथा सुनाने के लिए एक लाख रुपए लेते थे। एक रोज संत के पास एक भगवान का भक्त आया और संत से बोला मैं अपने गांवों में लोगों को आप के मुख से राम कथा सुनना चाहता हूँ। मगर मेरे पास देने को फूटी कौड़ी नहीं है।

भक्त ने कहा – मुफ़्त में कथा सुना सकते है संत महाराज

क्या आप हमारे गाँव वालों को मुफ़्त में कथा सुनाने चलेंगे। संत मुफ़्त में कथा सुनाने को तयार नहीं हुए। उन्होंने कहा,’ जब पैसा इकट्ठा हो जाए तो मेरे पास आना। परंतु उस भक्त ने जेसे-तैसे संत को राम कथा सुनाने के लिए तैयार कर लिया । फिर संत उसके गाँव गए और उनको कथा सुनाने लगे। कथा में भवन के नाम पर जों भी चढ़ावा मिलता भक्त उसे इकट्ठा करता जाता।

कथा संपत्ति के बाद संत के साथ हुई माया

कथा समाप्ति के बाद भक्त संत को अपने घर में एक कमरे में ले गया और बोला संत जी क्या आपको इस कमरे में कुछ दिखाई दे रहा है। संत बोले, ‘मुझे तो इस खाली कमरे में कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा है।’ भक्त बोला, ‘आप कुछ देर के लिए अपनी आंखें बंद कर लीजिए। जब मैं कहूँ तभी खोलिएगा।’

अशर्फियों की लगी लाइन

संत ने अपनी आँखें बंद कर ली। कुछ देर बाद भक्त बोला, ‘संत जी अब आप अपनी आँखें खोलिए।’ संत ने जैसे ही आँखें खोली तो देखा कमरे में एक लाइन से सोने की अशर्फियों  का ढेर लगा है। कमरे में इतनी सारी दौलत देखकर संत का सिर चकराने लगा। तभी भक्त बोला, ‘आप जितना चाहे सोने चांदी हीरे जवाहरात ले सकते है।’

भक्त की बात सुनकर, संत भक्त से हाथ जोड़कर बोले-‘भक्त तुम मेरी परीक्षा मत लो। तुमने मेरी आँखें खोल दी। आज से मैं लोगों को बिना पैसे कथा सुनाऊँगा। असली दौलत तो राम नाम है, जो मेरे मरने के बाद भी मेरे साथ जाएगी।’

कहानी से मिली सीख : राम नाम से बड़ा कोई धन नहीं, साथ भी वही आए थे और जाएंगे भी वहीं |

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