देश में मोटर व्हीकल एक्ट 2019 लागू होने के बाद से ही दिल्ली समेत लगभग सभी राज्यों में विरोध के सुर सुनाई दे रहे है। नए मोटर व्हीकल लागू होने के पहले दिन से ही लोगों को बड़े-बड़े चालान से सामना करना पड़ रहा है। भारी जुर्माना कई बार वाहन से भी भारी पड़ रहा है। कुछ लोगों की सैलरी से ज्यादा चालान की रकम देखकर आंखें चौंधिया रही है। लोग जहाँ रूल्स को फॉलो करना सही बता रहे है तो वहीं हजारों से लाखों रूपये के चालान को गलत। कुछ लोग तो इसकी तुलना ब्रिटिश शासनकाल में उगाही की जाने वाली लगान से कर रहे है। जहाँ जनता बेशक त्रस्त ही क्यों न हो पर लगान भरना अनिवार्यता थी। उसमें कोताही पर दंडित किया जाता था। लोगों ने अनेकानेक उदाहरण देकर भारी भरकम चालान को नाजायज़ ठहराया वहीं दूसरी ओर गौर किया जाए तो इन्हीं डर की वजह से लोगों में ट्रैफिक नियम को फॉलो करना और बेपरवाह ड्राइविंग पर काफी हद तक लगाम कसी गई है। सड़कों पर अब लोग हेलमेट के साथ देखें जा रहे है ये बात और है कि यहाँ भी इसकी वजह चालान ही है। सड़कों पर दुर्घटनाएं कम हुई है इसकी भी एकमात्र वजह भारी भरकम चालान ही है।
किसी की लापरवाही किसी के लिए मौत का सबब न बनें
कहने का तात्पर्य यह है कि बेशक एक तरफ भारी भरकम चालान से जहाँ लोगों को परेशानी हो रही है वहीं दूसरी तरफ इन्हीं चालान की वजह से ज़िदंगी की कीमत और दायरा भी बढ़ रहा है। बेपरवाह जिंदगी पर अब भारी भरकम कानून का शिकंजा है। जहाँ लोग इस भारी भरकम चालान की आलोचना कर रहे है वहीं इसकी सराहना से भी परहेज़ नहीं किया जाना चाहिए। आज बेशक चालान की फेहरिस्त काफी लंबी और भारी है लेकिन क्या हम चालान को भरने के लिए बाध्य है? क्या सभी नियमों का पालन कर हम चालान से परहेज़ करने के साथ-साथ एक भयमुक्त वातावरण का निर्माण नहीं कर सकते, जहाँ मौत और ज़िदंगा का फासला बहुत ज्यादा हो और किसी की लापरवाही किसी के लिए मौत का सबब न बनें। अगर हम नियमानुसार सड़क पर गाड़ी चलाए तो क्या हमें चालान भरने की आवश्यकता होगी। यकींनन नहीं। सरकार की सख्ती से अगर जनता और देश का हित है तो इसमें क्या बुराई है।
देश के लिए लागू की गई नीतियों का अलग राज्य में अलग नजरिया
देश में अगर यह कानून एक समान लागू हो जाता तो शायद आज विरोध के स्वर बुलंद करने के बजाए लोग अपनी कमियों को पूरा कर कानून का भलीभांति पालन कर रहे होते। पश्चिम बंगाल सरकार ने कानून लागू करने से इनकार कर दिया है तो वहीं, दिल्ली, यूपी, महाराष्ट्र व राजस्थान समेत अन्य राज्यों में जुर्माना घटाने की तैयारी की जा रही हैं। गुजरात के बाद एक और भाजपा शासित राज्य उत्तराखंड ने जुर्माने में कटौती की घोषणा की है। कहीं राज्य सरकार इसे लागू नहीं कर रही तो कहीं केन्द्र सरकार छूट देने की लिए तैयार है तो कहीं अमादा है। अब देश के लिए लागू की गई नीतियों को अलग-अलग राज्यों में अपने अनुसार बदलना जहाँ जनता के बीच नीतियों को लेकर असमंजस की स्थिति पैदा करता है तो दूसरी तरफ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सरकार को वोटबैंक की नीति बाकी नीतियों से ऊपर प्रतीत होती है।
यूपी सरकार रियायत देगी
यूपी में सीट बेल्ट, हेलमेट न पहनने जैसे प्रावधानों में राहत नहीं मिलेगी लेकिन मौके पर डीएल न होने और भूलवश नियमों के उल्लंघन पर थोड़ी राहत दी जाएगी।
जुर्माना घटाने की तैयारी में
दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री गहलोत ने कहा कि मोटर वाहन अधिनियम में कुल 61 मामलों में चालान राशि बढ़ाई गई है। 27 मामलों में राज्य सरकार बदलाव नहीं कर सकती। लेकिन अन्य चालानों की समीक्षा कर इसे घटाने के बारे में विचार किया जा रहा है।
मोटर व्हीकल अटका
राजस्थान में लागू करने से पहले इसकी कानून की समीक्षा कर रहा है। राज्य के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह ने कहा कि जल्द बदलाव करेंगे और गुजरात से भी कम जुर्माना वसूला जाएगा।
लागू करने से साफ इंकार
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में नया मोटर व्हीकल ऐक्ट पश्चिम बंगाल में लागू करने से इंकार कर दिया। इसकी वजह कानून का बहुत सख्त होना और राज्य की जनता पर बोझ बढ़ना है।
मोटर व्हीकल एक्ट में जुर्माना घटा
अब बिना लाइसेंस वाहन चलाने पर 2500 जुर्माना देना होगा, पहले यह पांच हजार रुपये था। इसी तरह 16 मामलों में जुर्माना कम किया गया है।
गडकरी को पत्र
महाराष्ट्र सरकार ने केंद्रीय परिवहन मंत्री को पत्र लिखकर जुर्माना घटाने की मांग की है।
एक्ट लागू करने के लिए सरकार दे समय
मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा कि इसके लिए लोगों को तीन माह का समय दिया जाना चाहिए। ताकि लोगों को बेवजह परेशान न किया जाए।