इतिहास सत्यता और शांति के आधार पर कभी नही लिखा जाता इतिहास तो शक्ति पराक्रम और विजय के आधार पर ही लिखा जाता है। इतिहास में उन लोगों का नाम मिट गया जिनका आधार शक्तिमत्ता पराक्रम और विजय श्री नही था। इतिहास और समय केवल बलवान, शक्तिवान, सामर्थ्यवान के पक्ष में ही लिखा गया ये एक परम् सत्य है।
अखिल विश्व ब्राह्मण हिन्दुत्व शक्ति मोर्चा” के राष्ट्रीय महा सचिव व केंद्रीय प्रभारी – कैलाश चन्द मिश्रा ने कहा कि शक्तिवान होने में ही कल्याण है। उनका कहना यहा तक है की आप सत्य और शांति को मानते हो लेकिन निर्बल हो तो आपका कोई महत्व नही इतिहास में वर्तमान या भविष्य में आपका कोई स्थान नहीं।
सत्यता का ही आधार मानकर इतिहास लिखा जाता तो आज अकबर रोड नही, राणा सांगा रोड होता। अयोध्या में बाबरी मस्जिद नही भव्य राम मंदिर होता। परंतु विश्व में आपकी शांति प्रियता सत्यता और अहिंसा का कोई मुल्य नही समय की बहती धारा में ईन मुल्यो का कोई आधार नहीं है। अतः जिस समाज राष्ट्र या व्यक्ति को अपना अस्तित्व बचाना है उसको सामर्थ्य और शक्तिशाली होना अनिवार्य है।
राष्ट्र के विकास के लिए आगे बढने के लिए उसका सुरक्षित रहना आवश्यक है और सुरक्षा के लिए शक्तिवान होना आवश्यक है। तभी विश्व में हम निर्भय होकर कदम् से कदम् मिलाकर अपने और अपने राष्ट्र का इतिहास सुनहरे अक्षरों में लिख सकेंगे।
…..हमें शांति बनाये रखने के लिए युद्ध के लिए तैयार रहना होगा, अहिंसा की रक्षा के लिये दुष्टों की हिंसा के सिद्धांत की अनिवार्यता को अपनाना होगा। अपने अस्तित्व की रक्षा के लिये आक्रमकता को अपनाना होगा। इसी तरह सत्य और शांति की स्थापना के लिए जो भी आवश्यक है अनिवार्य है वो हमें अपनाना होगा या करना होगा….!
यही न्याय है, यही सामर्थ्य है, यही सत्य है, यही इतिहास वर्तमान और भविष्य की मांग भी है। एक सुरक्षित समृद्ध और शक्तिशाली राष्ट्र या समाज के निर्माण के यही नियम है और यही सिद्धांत भी….है।