नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के मुताबिक हवा की गुणवत्ता में सुधार के लिए 2024-25 तक वातावरण में धूल कणों की मात्रा को 20-30% तक कम करने का लक्ष्य रखा गया है। सभी शहरों ने विशेष एक्शन प्लान तैयार किए हैं।
इन 42 शहरों में से 33 शहरी निकाय ऐसे हैं, जो एनकैप में शामिल 122 शहरों की सूची में भी हैं। सर्वाधिक प्रदूषित शहर होने के चलते दिल्ली व एनसीआर के लिए पिछले साल अलग से एक कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट बनाई गई थी । इसमें एनसीआर के शहरों को शामिल किया गया है। बजट में कमीशन के लिए अलग से 20 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।
पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा, ‘किसी भी समस्या को स्वीकार लेना समाधान की शुरुआत है। जब हमने मान लिया है कि दिल्ली ही नहीं देश के तमाम शहर वायु प्रदूषण की गिरफ्त में हैं, तो उनका स्तर भी जानना है। इसके लिए मॉनिटरिंग स्टेशनों की संख्या बढ़ाई जा रही है। फिर उसके मुताबिक हर शहर अपनी स्थिति व कार्ययोजना को लागू कर रहे हैं। इसके लिए निकायों को पर्याप्त मात्रा में धन आवंटित किया गया है।’
वायु प्रदूषण रोकने के लिए कार्ययोजनाओं में मल्टीलेवल पार्किंग, इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंट स्टेशन, साइकिल जोन, रिमोट सेंसिंग आधारित पीयूसी सिस्टम, चौराहों पर फव्वारे, खुले स्थानों पर घास व ग्रीन कवर बढ़ाने जैसे उपाय किए जा सकते हैं। सड़कों की सफाई के लिए मशीनें, छिड़काव के लिए स्प्रिंकलर के प्रस्ताव भी कार्ययोजना में शामिल किए गए हैं।