सुप्रीम कोर्ट में कहा मजदूरों को वेतन देना उनके और काम कराने वाले के बीच का मामला, सरकार की ओर से दख़ल देना सही नहीं होगा।
लाक डाउन के दौरान कारखाने , फैक्ट्री और औद्योगिक क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों को मजदूरी व वेतन देने के मुद्दे पर केंद्र सरकार ने अपना स्टैंड बदल लिया है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में चल रही सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि यह नौकरी देने वाले और काम करने वाले के बीच का मामला है। सरकार का इसमें दखल देना उचित नहीं होगा।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर उनकी सरकार के तमाम मंत्रियों ने कहा था कि लाक डाउन की अवधि में न तो किसी कामगार का वेतन कटेगा और न ही उसकी नौकरी जाएगी। मजदूरों का वेतन व मजदूरी न देने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। मगर अब सरकार ने अपना नजरिया बदल लिया है।
मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह भी पूछा कि उसने दावा किया था कि मजदूरों को राहत देने के लिए उनकी जेब में 20 हजार करोड़ रुपए डाले गए हैं। वह पैसे कहां गए। जिस पर सरकारी वकील ने कहा कि यह पैसा सूक्ष्म,लघु और मझौले उद्योंगो को मदद देने के लिए खर्च किया जा रहा है।