बुंदेलखंड का एक जिला बांदा। वही बुंदेलखंड जिसकी बंजर जमीनों की तस्वीरें आप अक्सर अखबारों में या टीवी पर देखते हैं। जहां पीने का पानी भी मालगाड़ी से आता है। जहां के किसान अपनी जमीनों को दूसरों के हवाले कर बड़े शहरों की तरफ पलायन कर रहे हैं, उसी बांदा के बड़ोखर गांव के किसान प्रेम सिंह पिछले 30 साल से खेती कर रहे हैं। और इससे हर साल 20 लाख रुपए कमा रहे हैं। आज उनसे खेती की ट्रेनिंग के लिए विदेशों से भी लोग आते हैं।
इन्होंने 1987 में पढ़ाई पूरी की थी । इसके बाद PCS क्रैक किया। उस समय सालाना कमाई 2 से ढाई लाख ही थी। तब नौकरी को बहुत अच्छी नजरों से समाज में देखा भी नहीं जाता था। इसलिए वो घर लौट आए।
1992 के बाद इन्होंने इंटीग्रेटेड फार्मिंग पर जोर दिया। प्रेम सिंह ने अपने 25 एकड़ की जमीन को तीन हिस्से में बांटा। एक हिस्से में बाग लगाया, तालाब बनाया, दूसरे हिस्से में आनाज और तीसरे हिस्से में ऑर्गेनिक सब्जियों की खेती शुरू की। आज उनके बाग में आम, अमरूद, नींबू, आंवला जैसे प्लांट हैं। इससे वे प्रोसेसिंग के बाद आचार वगैरह तैयार करते हैं। जिस हिस्से में वे अनाज की खेती कर रहे हैं उसमें धान, गेहूं और दलहन फसलें उगाते हैं। साथ ही इससे वे मल्टी ग्रेन आटा, दलिया जैसे प्रोडक्ट भी तैयार करते हैं। इसका एक बड़ा फायदा ये भी होता है कि अगर कोई फसल किसी साल खराब हो जाती है तो उसके नुकसान की भरपाई दूसरे फसल से हो जाती है।