फ्री कसोल कैफे, हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश के कसोल में स्थित ‘फ्री कसोल कैफे’ में भारतीयों का प्रवेश वर्जित है। इस कैफे का संचालन इजराइली मूल के लोग करते हैं। यह कैफे तब अधिक चर्चा में आया जब साल 2015 में कैफे ने एक भारतीय महिला को सर्व करने से मना कर दिया था। इस घटना के बाद कैफे की काफी आलोचना भी हुई थी । कैफे मालिक का कहना है कि कैफे में आने वाले अधिकतर भारतीय पर्यटकों में सिर्फ पुरुष होते हैं और उनका अन्य टूरिस्ट के प्रति व्यवहार अच्छा नहीं होता है।
यूनो-इन होटल, बैंगलोर
बैंगलोर स्थित यूनो-इन होटल सिर्फ जापानी लोगों को ही सेवा प्रदान करता था। साल 2012 में स्थापित इस होटल पर नस्लवाद के गंभीर आरोप लगे और साल 2014 में ग्रेटर बैंगलोर सिटी कॉर्पोरेशन द्वारा होटल को बंद करवा दिया गया था। होटल मालिक का कहना था कि उसने जापान की कई कंपनियों के साथ अनुबंध कर रखा है, जिसके चलते वह सिर्फ जापानी पर्यटकों को ही अपनी सेवाएँ देता है। ग्रेटर बैंगलोर सिटी कॉर्पोरेशन ने होटल के 30 कमरों में से 10 पर ताला जड़ दिया था।
नॉर्थ सेंटिनल आइलैंड
अंडमान-निकोबार द्वीप समूह का एक द्वीप नॉर्थ सेंटिनल आइलैंड भी है, जहां सिर्फ आदिवासी निवास करते हैं। साल 2018 में एक अमेरिकी ईसाई धर्म प्रचारक की मौत के बाद यह द्वीप ख़ासी चर्चा में आया था। इस तरह के कबीलों में रह रहे आदिवासियों की रक्षा के लिए वहाँ आम लोगों का प्रवेश पूरी तरह वर्जित रखा गया है, इसके लिए बाकायदा कानून की भी व्यवस्था की गई है।
चेन्नई स्थित रेड लॉलीपॉप हॉस्टल भी अपने सेवाओं के चलते आरोपों से घिरा हुआ है। हॉस्टल में प्रवेश के लिए व्यक्ति को पासपोर्ट को आवश्यकता होती है, ऐसे में भारत के आम नागरिकों के लिए यह हॉस्टल अपनी सेवाएँ उपलब्ध नहीं कराता है। लेकिन विदेशी पासपोर्ट के साथ होटल आने वाले भारतीय मूल के नागरिकों को होटल में प्रवेश मिल जाता है।
‘नो इंडियन’ बीच, गोवा
गोवा अपने खूबसूरत समु