ग्रेटर नोएडा || जमीन को बंजर बनने से रोकने के लिए गठित संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीसीडी) के सदस्य देशों की
14वीं शिखर बैठक सोमवार से यहां इंडिया एक्सपो मार्ट में शुरू हो गयी। बैठक 13 सितंबर तक चलेगी और नौ सितंबर
को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसके मुख्य सत्र को संबोधित करेंगे। इसमें लगभग 100 देशों के पर्यावरण मंत्रियों
समेत करीब 190 देशों के आठ हजार प्रतिनिधियों के हिस्सा लेने की उम्मीद है।
यूएनसीसीडी के कार्यकारी सचिव इब्राहिम छिआव ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर
के साथ उद्घाटन समारोह से पहले आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुये कहा कि यह यूएनसीसीडी
की स्थापना का 25वां वर्ष है और बैठक के बाद जारी होने वाले दिल्ली घोषणापत्र से सम्मेलन के अगले 25—30 वर्ष की
दिशा तय होगी। इससे यह तय होगा कि हम वर्ष 2050 तक कहां पहुंच सकते हैं।
एक प्रश्न के उत्तर में छिआव ने कहा कि बैठक को राजनीतिक रूप से सफल बनाने के लिए यूएनसीसीडी सदस्य देशों को
राजनयिकों को यह समझाने का प्रयास करेगा कि भूमि का बंजर होना और उसे फिर उपजाऊ बनाने का मसला सिर्फ
एक जैव भौतिक प्रक्रिया नहीं है — यह खाद्य सुरक्षा, गरीबी, स्वास्थ्य, रोजगार, समृद्धि और विस्थापन से भी जुड़ा हुआ है।
दुनिया के सबसे गरीब लोग सबसे अनुपजाऊ भूमि पर रहते हैं।
जावड़ेकर ने कहा कि जलवायु परिवर्तन, जैव—विविधता में कमी और भूमि के बंजर होने का कारण मानवीय हस्तक्षेप है।
तीनों एक—दूसरे से जुड़े हुये हैं। अब सकारात्मक मानवीय हस्तक्षेप के जरिये इसे सुधारने और भावी पीढ़ी को
बेहतर भविष्य देने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि पिछले 200 साल में हमने पर्यावरण को जो नुकसान पहुंचाया है
अब उसे ठीक करना है।