समय के अनुसार साधन बदल लेने चाहिये
जैसे कि प्रभु प्राप्ति का साधनसतयुग में ध्यान था
त्रेता युग में यज्ञ था
द्दापर युग में पूजन था
और कलियुग में सिमरण है |
समय के अनुसार साधन बदल लेने चाहिये
जैसे कि प्रभु प्राप्ति का साधनसतयुग में ध्यान था
त्रेता युग में यज्ञ था
द्दापर युग में पूजन था
और कलियुग में सिमरण है |