शाम सूरज को ढलना सिखाती है,
शमा परवाने को जलना सिखाती है,
गिरने वालों को तकलीफ़ तो होती है,
पर ठोकर ही तो इन्सान को
चलना सिखाती है !!
शाम सूरज को ढलना सिखाती है,
शमा परवाने को जलना सिखाती है,
गिरने वालों को तकलीफ़ तो होती है,
पर ठोकर ही तो इन्सान को
चलना सिखाती है !!