आम तौर पर जो दिखता है वो होता नहीं
जो होता है वो दिखता नहीं
क्योकि इंसान की
देखने – सुनने – सूंघने – चखने – स्पर्श
कि शक्ति सीमित है |
इनसे अधिक शक्ति दिमाग की,
दिमाग से अधिक मन की व
मन से अधिक शक्ति आत्मा की होती है |
इसलिये दिमाग –मन-आत्मा –द्वारा – जाँच कर
ही विश्वास कीजिये, कुछ भी करने का निर्णय लीजिये .
केवल देखने से लक्ष्मण जी ने भरत सरीखे
भाई को गलत मान लिया था
और सीता जी ने रावण को साधु मान किया था .