“बोध का उजाला – दूर करेगा अंधेरा “
दुनिया में शास्त्रों के जानकार तो बहुत है,मगर अपने भीतर की आंख को खोल लेने वाले कम है। केवल किताबों से ही स्वयं को भरते चलें जाओगे तो पंडित हो जाओगे और पंडित के पास वह ज्ञान नहीं फटकता जिसे हमारे ज्ञानियों ने बोध कहां है। दुनिया का नियम है कि हाथ ठंड में और ज्ञान घमंड में काम नहीं करता है।
पंडित डींग हाँक सकता है, लेकिन एक अनुभवी डींग नहीं हाँकेगा, वह बिना मतलब किसी को सलाह देता नहीं फिरेगा। वह तो ज्ञान का ग्राहक होगा।ज्ञान तो दीपक का प्रकाश है जो चारों तरफ फैलता है। बोध टार्च है। सीधा लक्ष्य को प्रकाशित करती है।ज्ञान किताबों से भी मिल सकता है,पर बोध जीवन के अनुभवों से अंकुरित होता है।
ईश्वर की कृपा आप एवम आपके परिवार पर सदैव बनी रहे। सुरक्षित रहें, स्वस्थ रहें, मस्त रहें।